दिल की बीमारी के सबसे अहम् ख़तरों में हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन शामिल है.1 डिस्लिपिडेमिया की समस्या लिपोप्रोटीन के चयापचय में गड़बड़ी की वजह से होती है, जिसमें लिपोप्रोटीन बहुत ज़्यादा या बहुत कम बनने लगता है.2 मर्करी (Hg) के सिस्टोलिक और डायस्टोलिक नंबर 140/90 mm से ज़्यादा होने को हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर के तौर पर परिभाषित किया जाता है.3
कई स्टडीज़ से पता चला है कि हाई ब्लड प्रेशर और डिस्लिपिडेमिया की एक साथ मौजूदगी ख़ून की नलियों के एंडोथेलियम (सबसे भीतर की लाइनिंग) पर बुरा असर डालती है, जो मुख्य रूप से दिल की बीमारी की वजह बनती है.4
ब्लड प्रेशर के हाई होने पर क्या होता है?
डिस्लिपिडेमिया में अच्छे कोलेस्ट्रॉल कहे जाने वाले हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) का लेवल कम हो जाता है, जबकि ख़राब कोलेस्ट्रॉल कहे जाने वाले लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल हाई होता है. इसकी वजह से धमनियों में फैट जमा होने लगता है.5 प्लाक कहा जाने वाला ये जमा हुआ फ़ैट धमनियों के ज़रिए होने वाले ख़ून के बहाव में रुकावट डालता है और उन्हें सख्त बना देता है. इस वजह से दिल जब ख़ून को पंप कर रहा होता है, तब यह दिल पर खिंचाव डालता है. इसके कारण हाई ब्लड प्रेशर सहित दिल से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं.6
डिस्लिपिडेमिया और हाइपरटेंशन के बीच क्या संबंध है?
डिस्लिपिडेमिया और हाइपरटेंशन, दोनों ही दुनिया भर में दिल की गंभीर समस्याओं के जोखिम की सबसे बड़ी वजहों में से एक हैं. वैज्ञानिकों ने हाइपरटेंशन का डिस्लिपिडेमिया से संबंध जोड़ने वाली कई बातें कही हैं, जिन पर नीचे चर्चा की गई है:
- डिस्लिपिडेमिया में दिल की धमनियों की भीतरी दीवारों से चिपका रहने वाला प्लाक दिल पर दबाव बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर असामान्य रूप से बढ़ता है.6
- डिस्लिपिडेमिया, वैसोमोटर एक्टिविटी यानि ख़ून की नलियों की चौड़ाई को बनाए रखने वाली एक्टिविटी को नुक़सान पहुंचाने के साथ ही एंडोथेलियम को भी नुक़सान पहुंचाने का कारण बनता है. इस नुक़सान से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है.4
- डिस्लिपिडेमिया और हाईपरटेंशन के बीच मोटापे जैसे आम कारणों को लेकर भी संबंध नज़र आता है.1
स्टडीज़ के मुताबिक़ डिस्लिपिडेमिया से एथिरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में प्लाक का जमा होना)के कारण धमनियों में होने वाले बदलाव और लोगों के ब्लड प्रेशर के कंट्रोल के बीच संबंध देखा जा सकता है.1
डिस्लिपिडेमिया और हाई ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल किया जाना क्यों अहम है?
स्टडीज़ में कहा गया है कि लोगों में डिस्लिपिडेमिया और हाई ब्लड प्रेशर की एक साथ हल्की-फुल्की मौजूदगी भी कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ के जोख़िम को बढ़ाने वाला असर डालती है. यह असर सिर्फ़ हाइपरटेंशन से प्रभावित लोगों के मुक़ाबले उन लोगों में ज़्यादा देखा गया, जो हाइपरटेंशन और डिसिप्लिडिमिया, दोनों के असर में थे.1 इसलिए, इन दोनों कंडीशन को कंट्रोल करना ज़रूरी है.
डिस्लिपिडेमिया और हाइपरटेंशन को कैसे कंट्रोल किया जाता है?
सबूतों से पता चलता है कि जो लोग डिस्लिपिडेमिया और हाइपरटेंशन से एक साथ प्रभावित होते हैं, उन्हें दिल की बीमारी होने का बहुत ज़्यादा ख़तरा होता है. हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए डॉक्टर रेगुलर मेडिकल चेकअप और लाइफ़स्टाइल में बदलाव की सलाह देते हैं. दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए हाइपरटेंशन और डिस्लिपिडेमिया की जल्द से जल्द पहचान करना और फिर उनके इलाज के लिए तुरंत कदम उठाना बहुत ज़रूरी होता है.4
- हाइपरटेंशन का इलाज किसी एक दवा या कई दवाओं से किया जाता है. इसमें बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने वाली दवाओं के विभिन्न वर्गों को शामिल किया जाता है.8 डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं के तौर पर स्टैटिन लेने की सलाह देते हैं.4
- स्टैटिन को हाइपरटेंशन रोकने वाली दवाओं के साथ लिए जाने पर ब्लड प्रेशर बेहतर तरीक़े से कंट्रोल होते देखा गया है. जिस तरह हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों का ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में लिपिड कम करने वाली दवाएं अच्छा असर दिखाती हैं, उसी तरह ब्लड प्रेशर कम करने वाली कुछ दवाओं का सीरम लिपिड लेवल पर असर पड़ता है.4
- स्टडीज़ के मुताबिक़ कम फ़ाइबर वाली डाइट और शारीरिक रूप से एक्टिव ना रहने से मोटापा और डिस्लिपिडेमिया हो सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है. इसलिए, लाइफ़स्टाइल में बदलाव दोनों ही कंडीशन में फ़ायदेमंद हो सकता है. फ़ाइबर से भरपूर डाइट, सैचुरेटेड फैट का कम सेवन और कार्बोहाइड्रेट कम खाना, सीरम लिपिड लेवल और ब्लड प्रेशर दोनों को कम कर सकता है.7
- तंबाकू का इस्तेमाल बंद करने और शारीरिक एक्टिविटी बढ़ाने से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिल सकती है.4
डिस्लिपिडेमिया और हाई ब्लड प्रेशर का एक साथ इलाज करके दोनों समस्याओं को सफलता के साथ कंट्रोल किया जा सकता है. इस तरह दिल की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ने का ख़तरा कम हो जाता है.4
आपकी सेहत का पूरा दारोमदार आपके हाथों में है इसलिए नियमित तौर पर जांच कराएं. समस्या का जल्दी पता लगने और जल्द इलाज होने पर ख़ून में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है. इस तरह आप ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी दूसरी परेशानियों से बचे रह सकते हैं.7
हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें और हेल्थी हार्ट के साथ ज़िंदगी गुज़ारें!
संदर्भ:
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- Ahmed SM, Clasen ME, Donnelly JF. Management of dyslipidemia in adults. Am fam physician. 1998 May 1;57(9):2192-2204.
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- Yan X, et al. Blood pressure and low-density lipoprotein cholesterol control status in Chinese hypertensive dyslipidemia patients during lipid-lowering therapy. Lipids in Health and Disease. 2019;18(32). https://doi.org/10.1186/s12944-019-0974-y