diabetes causes
Reading Time: 6 minutes

डायबिटीज़ यानी मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसका सीधा संबंध आपकी जीवनशैली से है, आपकी जीवनशैली ही डायबिटीज़ को न्योता देती है, अगर आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं, तो आप इस पर क़ाबू पा सकते हैं. ये कहना है अफ़्रीकी-अमेरिकी हास्य अभिनेता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता डिक ग्रैगरी का.

देखा जाए तो वो किसी हद तक सही भी हैं, अगर आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं तो आप डायबिटीज़ पर कुछ हद तक क़ाबू पा सकते हैं. हालांकि, ये कहना कि सिर्फ़ (ख़राब) जीवनशैली ही डायबिटीज़ का कारण है, ये ग़लत होगा. डायबिटीज़ होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अनुवांशिक कारण के अलावा पर्यावरण का प्रभाव, ख़ासतौर से इसके पीछे ज़िम्मेदार कहे जा सकते हैं.

अगर और गहराई से सोचें तो डायबिटीज़ होने की मुख्य वजह इंसुलिन रेज़िस्टेंस (इंसुलिन प्रतिरोध) है. डायबिटीज़ तब होता है, जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न नहीं कर पाता या फिर इंसुलिन ठीक से काम करना बंद कर दे, यानी शरीर के सेल्स इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया न दें.

इंसुलिन और डायबिटीज़

इंसुलिन एक हॉर्मोन है जिसका निर्माण पेन्क्रियास में मौजूद बीटा सेल के ज़रिये होता है. इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं को कार्ब्स और फ़ैट से मिलने वाले शुगर (शर्करा) को ऊर्जा में तब्दील करने में मदद करता है, जिससे शरीर रोज़मर्रा के काम कर सके. इसके अलावा, बाक़ी शुगर ग्लाइकोजेन में परिवर्तित होकर लीवर में जमा हो जाता है, ताकि शरीर इसका इस्तेमाल तब कर सके, जब उसे ऊर्जा के लिए पर्याप्त शुगर न मिल पा रहा हो.

इंसुलिन (की कमी) डायबिटीज़ के लिए तब ज़िम्मेदार हो जाता है जब इंसुलिन संवेदनशीलता (Insulin sensitivity) में किसी तरह की ख़राबी आ जाए.

इंसुलिन संवेदनशीलता एक तरह का मापक है, जो ये पता लगाता है कि आप इंसुलिन के प्रभावों के प्रति कितने संवेदनशील हैं, यानी ब्लड ग्लूकोज़ लेवल बढ़ने पर इंसुलिन कितनी जल्दी इसे कम या सामान्य बना सकता है. अगर आपकी इंसुलिन संवेदनशीलता ज़्यादा है, तो आपको कम इंसुलिन संवेदनशीलता वाले व्यक्ति के मुक़ाबले ख़ून से शुगर को कम करने के लिए इंसुलिन की कम मात्रा की आवश्यकता पड़ती है. इस तरह से कह सकते हैं कि इंसुलिन के प्रति अच्छी संवेदनशीलता आपके स्वास्थ्य के लिए ही अच्छा होता है.

इंसुलिन संवेदनशीलता का काफ़ी कम होना इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) कहलाता है. इंसुलिन प्रतिरोध उस स्थिति को कहते हैं, जहाँ शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति किसी तरह की प्रतिक्रिया देना बंद कर देतीं हैं और शुगर का कोशिकाओं से सम्पर्क नहीं हो पाता, नतीजतन ख़ून में शुगर बढ़ने लगता है और बल्ड शुगर में इज़ाफ़ा हो जाता है. शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा ज़्यादा होना हाइपरग्लाइसीमिया कहलाता है, जो आगे जाकर डायबिटीज़ में तब्दील हो जाता है. हालांकि, इंसुलिन प्रतिरोध टाइप 2 डायबिटीज़ से जुड़ा है, लेकिन टाइप 1 डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों में भी इसे देखा जा सकता है.

इंसुलिन प्रतिरोध और डायबिटीज़ के बीच संबंध

आइए अब जानते हैं कि इंसुलिन प्रतिरोध मधुमेह यानी डायबिटीज़ का कारण कैसे बनता है? इंसुलिन के प्रतिरोध के चलते क्योंकि आपकी कोशिकाएं ख़ून से चीनी को अवशोषित नहीं कर पाती, जिससे ख़ून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. इंसुलिन की इस बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए, शरीर की बीटा कोशिकाएं ज़्यादा इंसुलिन उत्पन्न करना शुरू करती हैं. बीटा कोशिकाएं जब तक पर्याप्त इंसुलिन उत्पन्न करती हैं, तब तक सबकुछ नियंत्रण में रहता है. पर समय गुज़रने के साथ बीटा सेल्स शरीर की इंसुलिन की ज़रूरत के साथ क़दमताल नहीं कर पातीं और कम इंसुलिन बनाना शरू कर देतीं हैं. जिसके चलते शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और ये डायबिटीज़ का कारण बनता है.

किन वजहों से होता है इंसुलिन प्रतिरोध?

डायबिटीज़ होने के पीछे जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक भी ज़िम्मेदार होते हैं. आइए, टाइप 2 डायबिटीज़ पर ख़ास नज़र डालते हैं.

  1. जेनेटिक कारक

शोधकर्ताओं ने लगभग 75 जेनेटिक (आनुवांशिक) कारकों की पहचान की है, जो टाइप 2 डायबिटीज़ मेलेटस (T2DM) के जोखिम को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

कर्नाटक के शोधकर्ताओं ने भारतीय आबादी में TCF7L2  और SLC30A8 नामक दो जीन के प्रकार खोजे. जो लगभग 30% भारतीयों में टाइप 2 डायबिटीज़ मेलेटस के लिए ज़िम्मेदार हैं.[2]

हालांकि, शरीर में जोखिम भरे ये जीन्स होने के बावजूद, कुछ लोगों को डायबिटीज़ नहीं होता. शोधकर्ताओं ने इसके पीछे मोटापे, आहार, पर्यावरण और जीवनशैली जैसे दूसरे कारकों को ज़िम्मेदार माना है.

  1. मोटापा

मोटापा, ख़ासकर पेट के आसपास ज़्यादा चर्बी का होना, टाइप 2 डायबिटीज़ मेलेटस का प्रमुख कारण हो सकता है.

फ़ैट सेल्स हार्मोन के अलावा जलन पैदा करने वाले रसायनों का उत्पादन करते हैं और नॉन एस्टेरीफ़ाइड फ़ैटी एसिड (एनईएफ़ए) जारी करते हैं, जिससे हमारा मेटाबॉलिज़्म (चयापचय) प्रभावित होता है. इतना ही नहीं, मोटापे से ग्रस्त लोगों में, इन पदार्थों का स्राव कई गुना बढ़ जाता है. वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में पाया कि नॉन एस्टेरीफ़ाइड फ़ैटी एसिड, इंसुलिन प्रतिरोध पैदा करने का प्रमुख कारण बनता है और बीटा सेल्स के कामकाज को बाधित करता है, जिससे डायबिटीज़ होता है.[1]

इसके अलावा आपके शरीर में फ़ैट (वसा) की स्थिति, ख़ासकर ये किस तरह वितरित और फैला हुआ है, इससे भी इंसुलिन संवेदनशीलता निर्धारित होती है. मसलन, जिन लोगों में पेट या छाती के आस-पास ज़्यादा फ़ैट हो, उन लोगों में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम होती है.

  1. पेट से जुड़े बैक्टीरिया

डायबिटीज़ का संबंध आंत में बैक्टीरिया की बढ़ती या कम होती संख्या से भी है. उदाहरण के तौर पर अगर आंत में बिफ़िडोबैक्टीरियम नस्ल के बैक्टीरिया की संख्या ज़्यादा है, तो इससे ग्लूकोज़ टोलेरेंस बढ़ता है (ग्लूकोज़ टोलेरेंस टाइप 2 डायबिटीज़ में एक तरह का मापक है, जो ये बताता है कि आपके शरीर में ग्लोकोज़ कितनी आसानी से और जल्दी अवशोषित होता है. यानी ख़ून से शुगर कितनी जल्दी साफ़ हो पाता है) और लो-ग्रेड के इन्फ्लेमेशन में कमी आती है. वहीं दूसरी तरफ़, बैक्टीरॉइड्स जैसे बैक्टीरिया से टाइप 1 डायबिटीज़ भी हो सकता है. [3]

इसी तरह, पेट में कितने बैक्टीरिया हैं या उनके अनुपात से भी डायबिटीज़ की बढ़ोतरी पर असर पड़ता है. एक अध्ययन में पाया गया कि बिना डायबिटीज़ वाले लोगों की तुलना में डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों में फ़र्मीक्यूट्स की मात्रा बहुत कम थी, जबकि बैक्टीरॉइडटिस और प्रोटियोबैक्टीरिया की मात्रा बहुत ज़्यादा थी. [3]

हाल ही में किए गए अध्ययन से यह भी पता चला है कि डायबिटीज़ सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलिमॉरफ़िज़्म (पेट में पाए जाने वाला एक माइक्रोब,जो नुक़सानदेह नहीं होता) से भी हो सकता है.[4]

  1. मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक तनाव

भारत में अवसाद, चिंता और तनाव प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं हैं. तनावग्रस्त होने पर आपके ख़ून में कॉर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन मिलने लगते हैं, जिससे आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है, साथ ही बीटा सेल्स से इंसुलिन उत्पादन भी रुक जाता है.[5]

ये सिर्फ़ डायबिटीज़ होने का कारण ही नहीं बनता, बल्कि डायबिटीज़ से प्रभावित व्यक्ति को डायबिटीज़ का सही तरीक़े से प्रबंधन करने से भी रोकता है.

मिसाल के तौर पर, एक किसान ने कुछ शोधकर्ताओं को एक साक्षात्कार में बताया कि वो काम करना तो चाहता था, लेकिन डायबिटीज़ के चलते वो बेहोश होकर गिरने लग गया, उसे ये भी डर था कि कहीं उसके घावों में संक्रमण न हो जाए, जिससे उसे तनाव और चिंता होने लगी. डायबिटीज़ का ठीक से प्रबंधन करना तो दूर, उसे अपना काम करने में भी मुश्किल पेश आरही थी.[6]

  1. आपकी जीवनशैली से जुड़े कारण

वीडियो देखें: डायबिटीज़ में योग करने के क्या फ़ायदे हैं?

दिलचस्प बात यह है कि बाल रोग विशेषज्ञ और एलर्जी का इलाज करने वाले डॉ जॉन पुथुलिल ने इंसुलिन प्रतिरोध के चलते डायबिटीज़ होने के सिद्धांत को अपनी किताब डायबिटीज़: द रियल कॉज़ एंड द राइट क्यूर में चुनौती दी है और इसपर सवाल उठाया है. इसके बजाय, वह फैटी एसिड बर्न थ्योरी पर ज़ोर देते हैं. जो डायबिटीज़ के मुख्य कारण के रूप में फ़ैट को स्टोर करने की हमारी आनुवांशिक क्षमता की ओर इशारा करता है.

उनके मुताबिक़, मांसपेशियां ऊर्जा के लिए शुगर के बदले फ़ैटी एसिड का इस्तेमाल करने लगती है जिससे शुगर ख़ून में जमा होने लगता है और इससे हाई ब्लड शुगर होता है. नतीजतन, व्यक्ति को डायबिटीज़ का सामना करना पड़ता है. हालांकि, उनके इस सिद्धांत की पुष्टि फ़िलहाल नहीं हुई है.[7]

 

संदर्भ:

  1. A.S. Al-Goblan, M.A. Al-Alfi, M.Z. Khan. Mechanism linking diabetes mellitus and obesity. Diabetes, Metabolic Syndrome and Obesity: Targets and Therapy. 2014. 7:587-591. doi:10.2147/DMSO.S67400.
  2. [N.M. Phani, P. Adhikari, S.K. Nagri, S.C. D’Souza, K. Satyamoorthy, P.S. Rai. Replication and Relevance of Multiple Susceptibility Loci Discovered from Genome Wide Association Studies for Type 2 Diabetes in an Indian Population. PLoS ONE. 2016. 11(6): e0157364. https://doi.org/10.1371/journal.pone.0157364
  3. N. Larsen, F.K. Vogensen, F.W.J. van den Berg, D.S. Nielsen, A.S. Andreasen, B.K. Pedersen, et al. Gut Microbiota in Human Adults with Type 2 Diabetes Differs from Non-Diabetic Adults. PLoS ONE. 2010. 5(2): e9085. https://doi.org/10.1371/journal.pone.0009085
  4. Y. Chen, Z. Li, S. Hu, J. Zhang, J. Wu, N. Shao, et al. Gut metagenomes of type 2 diabetic patients have characteristic single-nucleotide polymorphism distribution in Bacteroides coprocola. Microbiome2017. 5:15. https://doi.org/10.1186/s40168-017-0232-3
  5. H. Zardooz, S. Zahediasl, F. Rostamkhani, B. Farrokhi, S. Nasiraei, B. Kazeminezhad, B., & Gholampour, et al. Effects of acute and chronic psychological stress on isolated islets’ insulin release. EXCLI Journal, 11, 163–175.
  6. M. Little, S. Humphries, K. Patel, C. Dewey. Decoding the Type 2 Diabetes Epidemic in Rural India. Medical Anthropology. 2017. 36(2):96-110. doi:10.1080/01459740.2016.1231676.
  7. Sysy Morales. New Book: Diabetes: The Real Cause and the Real Cure.Diabetes Daily.   https://www.diabetesdaily.com/blog/new-book-diabetes-the-real-cause-and-the-real-cure-476102/

Loved this article? Don't forget to share it!

Disclaimer: The information provided in this article is for patient awareness only. This has been written by qualified experts and scientifically validated by them. Wellthy or it’s partners/subsidiaries shall not be responsible for the content provided by these experts. This article is not a replacement for a doctor’s advice. Please always check with your doctor before trying anything suggested on this article/website.