कंटेंट की समीक्षा अश्विनी एस कनाडे ने की है, वे रजिस्टर्ड डाइटीशियन हैं और 17 सालों से मधुमेह से जुड़ी जानकारियों के प्रति लोगों को जागरूक कर रहीं हैं.
ग्लूकोमीटर ख़ून में ग्लूकोज़ की मात्रा को मापने का यंत्र है. इसके ज़रिए मधुमेह यानी डायबिटीज़ से प्राभावित लोग अपने शरीर में ब्लड शुगर के लेवल पर नज़र रखते हैं. डॉक्टरी जांचों के बीच अपने ब्लड ग्लूकोज़ की निगरानी का ये एक आसान तरीक़ा है. जो बताता है कि आपकी लाइफ़स्टाइल का आपके शुगर लेवल पर क्या असर पड़ रहा है.
हमने ग्लूकोमीटर को लेकर चेन्नई स्ठित डॉ. मोहन्स डायबिटीज़ स्पेशलिटीज सेंटर के चेयरमैन, डॉक्टर वी. मोहन से इसकी अहमियत, इस्तेमाल के सही तरीक़े और बाज़ार में मिलने वाले सबसे बेहतर ग्लूकोमीटर्स के बारे में बात की.
डायबिटीज़ के दौरान ग्लूकोमीटर ज़रूरी क्यों है?
ग्लूकोमीटर वाक़ई डायबटीज़ में एक ज़रूरी औज़ार है. कई मामलों में ये जान बचाने वाला साबित हो सकता है. शरीर में बहुत ज़्यादा या बहुत कम शुगर की मात्रा घातक हो सकती है. लिहाज़ा, इसकी नियमित जांच करते रहना डायबटीज़ के दौरान अहम हो जाता है.
अक्सर शरीर में ग्लूकोज़ का लेवल बहुत कम (हाइपोग्लाईसीमिया)या ज़्यादा (हाइपरग्लाईसीमिया) होने तक डायबटीज़ का पता नहीं चलता. ऐसे में ग्लूकोमीटर की मदद से आप काफ़ी हद तक जोखिम को कम और डायबटीज़ को बेहतर तरीक़े से क़ाबू में रख सकते हैं.
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आज के ग्लूकोमीटर्स में तारें नहीं लगी होतीं. ये आपको फ़ौरन ख़ून में ग्लूकोज़ के लेवल का अपडेट देते हैं और आप इन्हें अपने लैपटॉप या स्मार्टवॉच के साथ भी जोड़ सकते हैं. इस सुविधा से आप अपने ब्लड शुगर के घटने या बढ़ने के ट्रेंड को रंगीन ग्राफ यानी रेखाचित्रों और तस्वीरों की शक्ल में देख सकते हैं. ये डाटा आपकी सेहत की पूरी तस्वीर बयां करता है. इससे आपको ज़रूरत के मुताबिक़ अपनी आदतों को बदलने में सुविधा होगी.
कैसे ख़रीदें सही ग्लूकोमीटर?
– ध्यान रखें कि ग्लूकोमीटर के डिसप्ले को आसानी से पढ़ा जा सके. बेहद हाइटेक और इस्तेमाल में पेंचीदा ग्लूकोमीटर ख़रीदने से बचें.
– ग्लूकोमीटर में बैकलाइट यानी स्क्रीन पर रोशनी की सुविधा होनी चाहिए. इससे रात के वक़्त इसे इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी. अगर नज़र कमज़ोर हो तो ऐसे ‘वॉइस रीडआउट फीचर’ वाले ग्लूकोमीटर भी उपलब्ध हैं, जिनमें आप टेस्ट के नतीजों को सुन भी सकते हैं.
– डिस्क या स्ट्रिप के साथ मिलने वाले ग्लूकोमीटर्स का इस्तेमाल आसान होता है.
– ऐसे ग्लूकोमीटर से बचें जिनमें टेस्ट स्ट्रिप बदलने के लिए हर बार कोड या पासवर्ड की ज़रूरत हो. ये बेवजह की परेशानी साबित हो सकती है, ख़ासकर आपातकाल में.
– ग़ौर करें कि ग्लूकोमीटर में नतीजे कैसे सेव (दर्ज) होते हैं और कितनी आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं. कुछ ग्लूकोमीटर्स में टेस्ट के नतीजे ख़ुद ही डाउनलोड होकर डॉक्टर के मेलबॉक्स में पहुंच जाते हैं. ये एक बेहतर विकल्प है.
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कितनी बार ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल करें?
ये डायबटीज़ के प्रकार पर निर्भर करता है. आमतौर पर टाइप-1 डाइबिटीज़ में टाइप-2 के मुक़ाबले ब्लड शुगर का स्तर ज़्यादा अस्थिर रहता है. लिहाज़ा टाइप-1 के मामलों में ग्लूकोमीटर की ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है. टाइप-1 में इन्सुलिन यानी मधुसूदनी के डोज़ को तय करने के लिए दिन में तीन या चार बार टेस्ट करना होता है.टाइप-2 में ये मियाद केस पर निर्भर करती है. ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल दिन में 1 या 2 बार से लेकर हफ़्ते में 1 या 2 बार तक करना पड़ सकता है.
ग्लूकोमीटर से और भी बेशक़ीमती जानकारी मिलती है. मसलन, भूखे पेट किया गया टेस्ट बताएगा कि क्या रात को दवा की मात्रा सही थी. इसी तरह नाश्ते या लंच के बाद की रीडिंग से पता चलेगा कि क्या सुबह की डोज़ काफ़ी थी. आपके डॉक्टर इस जानकारी के आधार पर दवा की सलाह में बदलाव कर सकते हैं.
ग्लूकोमीटर के इस्तेमाल में होने वाली ग़लतियां
- कुछ लोग बेवजह की घबराहट में आकर बार-बार टेस्ट करने लगते हैं. इससे सिर्फ़ उनकी चिंता बढ़ती है. हमेशा डॉक्टर की सलाह के मुताबिक़ ही टेस्ट करें.
- टेस्ट करने का फ़ायदा तभी है, अगर आपको ये पता हो कि नतीजों के साथ क्या करना है. उन्हें समझने के लिए डॉक्टर या मधुमेह के जानकार के साथ बात करें.
कैसे रखें ग्लूकोमीटर का ख़्याल?
– ग्लूकोमीटर की सफ़ाई का ध्यान रखें. नमी से बचाने के लिए ग्लूकोमीटर के केस को चढ़ाए रखें.
– ग्लूकोमीटर को बीच-बीच में ‘कैलिब्रेट’ यानी उसकी जांच करते रहें. रीडिंग को सटीक बनाए रखने के लिए इसकी आदत डाल लें.
– सबसे ज़रूरी बात- स्ट्रिप के डिब्बे को हमेशा बंद रखें. नमी इन स्ट्रिप्स को बेकार कर देती है.
भारत में मिलने वाले लोकप्रिय ग्लूकोमीटर्स
बाज़ार में मिलने वाले कुछ लोकप्रिय ग्लूकोमीटर्स की लिस्ट कुछ इस तरह है:
-एक्यु चेक एक्टिव ब्लड ग्लूकोज़ मीटर किट (1,599 रुपये)
-बेयर कॉन्टोर टीएस ब्लड ग्लूकोमीटर (2,199 रुपये)
-डॉक्टर मोरपेन बीजी-03 ग्लूको वन ग्लूकोमीटर (1,590 रुपये)
-ग्लू टच शुगर चेकर मशीन (1,050 रुपये)
-जॉनसन एंड जॉनसन वन टच सेलेक्ट सिंपल ग्लूकोमीटर (1,390 रुपये)
-लाइफ़स्कैन जॉनसन एंड जॉनसन- वन टच वेरियो फ्लैक्स ( 1,750 रुपये)
-माई लाइफ़ प्योरा एक्स ब्लड ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग सिस्टम (2,100 रुपये)
-ऑमरोन एचजीएम- 112 ग्लूकोमीटर (1,075 रुपये)
-ट्रूवर्थ जी-30 ब्लड ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग सिस्टम (1,799 रुपये)
कृपया ध्यान दें: हम ग्लूकोमीटर के किसी भी ब्रांड की सिफ़ारिश नहीं करते हैं.
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