कंटेंट की समीक्षा: अश्विनी एस कनाडे रजिस्टर्ड डाइटीशियन हैं और वो 17 सालों से मधुमेह से जुड़ी जानकारियों के प्रति लोगों को जागरुक कर रहीं हैं.
अगर आप डायबिटिक हैं, तो ये बात तय है, कि काफ़ी लोग आपको मुफ़्त में ज्ञान बाँटते होंगे कि आप अपना ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रखने के लिए क्या करें और क्या न करें. ज़्यादातर मामलों में, इनसे फ़ायदा कम नुक़सान ज़्यादा हो जाता है. साथ ही ये कई ऐसे मिथकों को जन्म देती है जिसपर आपको ध्यान नहीं देना चाहिए.
अगर आप ऐसे मिथकों के शिकार हो चुके हैं, तो चिंता ना करें. आज चेन्नई स्ठित डॉ. मोहन्स डायबिटीज़ स्पेशलिटीज सेंटर के चेयरमेन और चीफ़ डायबेटोलॉजिस्ट, डॉक्टर वी. मोहन हमें बताएंगे कि डायबिटीज़ से जुड़ी वो कौन-सी झूठी मान्यताएं हैं, जिसे आपको नहीं मानना चाहिए साथ ही डायबिटीज़ नियंत्रण के लिए क्या करना चाहिए.
ग़लतफ़हमी 1: मधुमेह / डायबिटीज़ से ग्रसित व्यक्तियों को फल नहीं खाना चाहिए.
सच्चाई: सामान्य नियम यह है कि फल आप तब ही खाएं, जब आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में हो. इस तरह से फ्रुक्टोज़ (फलों में पाया जाने वाला शुगर का एक प्रकार) के चलते ब्लड शुगर पर ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता. इस बात का ख़याल रखें कि आप जो भी फल खा रहे हों, वह लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले फल हों, अगर आप हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल खाएं तो उस दिन कार्ब्स वाली चीज़ों को कम खाकर संतुलन बनाएं.
ग़लतफ़हमी 2: टाइप 2 डायबिटीज़, डायबिटीज़ का मामूली रूप है, इसे मैनेज करने की ज़रूरत नहीं.
सच्चाई: टाइप 2 डायबिटीज़ को हल्के में ना लें ! हो सकता है कि आपको टाइप 1 डायबिटीज़ वालों की तरह लगातार इन्सुलिन का इंजेक्शन न लेना पड़े, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि यह आम बात है या इसे मैनेज करने की ज़रूरत नहीं.
अनियंत्रित डायबिटीज़ से कई गंभीर शारीरिक दिक्क़तों का सामना करना पड़ सकता है, जो शरीर के अलग -अलग हिस्सों को प्रभावित करता है. पर अच्छी ख़बर ये है कि लाइफ़स्टाइल में बदलाव, जैसे हेल्दी खाना, एक्सरसाइज़, समय पर दवा लेने और संतुलित वज़न बनाए रखने से कई परेशानियों और ख़तरों से बचा जा सकता है.
ग़लतफ़हमी 3: क्या डायबिटीज़ की वजह से मैं अँधा हो जाऊंगा?
सच्चाई: ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सभी डायबिटिक आख़िरकार अंधे ही हो जाएंगे. अंधेपन के लिए मधुमेह एक सामान्य वजह होती है, पर ये तभी मुमकिन है जब लंबे समय तक डायबिटीज़ को कंट्रोल में न रखा गया हो. अगर आपका डायबिटीज़ कम से कम फ्लक्चुएशन यानी उतार-चढ़ाव के साथ नियंत्रण में है, तो आप अपनी आँखों को इन परेशानियों से बचा सकते हैं.
इसे भी देखें: डायबिटीज़ में कैसे पाएं बेहतर नींद
ग़लतफ़हमी 4: डायबिटीज़ वंशानुगत यानी हेरिडिटी है, मैं इसके लिए कुछ नहीं कर सकता.
सच्चाई: फिर से ग़लत. सिर्फ़ 40% [1] लोगों का डायबिटीज़ वंशानुगत है, जबकि 60% मामले ग़लत लाइफ़स्टाइल जैसे मोटापा, एक्सरसाइज़ न करने, खाने की आदतों और तनाव की वजह से सामने आते हैं. अगर माता-पिता दोनों ही डायबिटिक हों, तो मुमकिन है कि उनके बच्चों को भी डायबिटीज़ हो जाए. पर दोनों में किसी एक को डायबिटीज़ होने पर बच्चों को इसके होने का ख़तरा 50% कम हो जाता है.[1] ऐसे में राहत की बात ये है कि अगर आपके भीतर मधुमेह का जीन हो भी तो बेहतर लाइफ़स्टाइल और शरीर का वज़न क़ाबू में रखकर आप डायबिटीज़ का शिकार होने से बच सकते हैं.
ग़लतफ़हमी 5: मैं बहुत मोटा हूं, मुझे तो डायबिटीज़ होगा ही.
सच्चाई: ज़्यादा वज़न होने या मोटापे के साथ ग़लत लाइफ़स्टाइल अपनाने से डायबिटीज़ होने का ख़तरा बढ़ जाता है. ये संभावना तब और बढ़ जाती है, जब आपके परिवार की हिस्ट्री में डायबिटीज़ शामिल रहा हो.ऐसे में एक्टिव रहकर हेल्दी वेट मेंटेन करने और स्वास्थ्यवर्धक आहार अपनाकर, आप डायबिटीज़ के जोख़िम को कम कर सकते हैं.अगर आपको पहले से ही डायबिटीज़ है, तो आप बेहतर लाइफ़स्टाइल अपनाएं और वज़न पर नियंत्रण रखें, इससे आपको डायबिटीज़ रिवर्स करने में मदद मिल सकती है.[2]
ग़लतफ़हमी 6: डॉक्टर इन्सुलिन लेने को कहे, मतलब डायबिटीज़ बिगड़ता जा रहा है.
सच्चाई: यह बात पूरी तरह सच नहीं है. जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज़ हो उन्हें शुरूआती दौर में इन्सुलिन की ज़रूरत नहीं पड़ती. हालांकि, समय गुज़रने के साथ अगर पैंक्रियाज़ ठीक से काम करना बंद कर दें या टेबलेट्स बे-असर हो जाएं, तब इन्सुलिन से इलाज किया जाता है. पर फिर भी इसका ये मतलब नहीं कि डायबिटीज़ बहुत बुरी दशा में है, क्योंकि इन्सुलिन लेने के बावजूद लोग पूरी तरह स्वस्थ और बेहतर ज़िन्दगी जी सकते हैं.
संदर्भ:
1. Rashmi B. Prasad, and Leif Groop. Genetics of Type 2 Diabetes—Pitfalls and Possibilities. Genes (Basel). 2015 Mar; 6(1): 87–123. Published online 2015 Mar 12. doi: 10.3390/genes6010087 https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4377835/
2. J P H Wilding. The importance of weight management in type 2 diabetes mellitus. Int J Clin Pract. 2014 Jun; 68(6): 682–691. Published online 2014 Feb 18. doi: 10.1111/ijcp.12384 https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4238418/