डाइबिटीज़ से प्रभावित ज़्यादातर लोगों को कभी न कभी इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है. इंसुलिन लेने से शरीर के ब्लड शुगर लेवल को सही बनाए रखने में मदद मिलती है. हालांकि, ख़ुद से इंसुलिन लेना आसान नहीं होता. इसे ठीक ढंग से लेने में कई बार बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
नीचे दी गई समस्याओं में से ज़्यादातर समस्याएं अपनी लाइफ़स्टाइल में सुधार कर या इंसुलिन लेने की तकनीक सीख कर दूर की जा सकती है. लेकिन फिर भी अपने डाइग्नोसिस के हिसाब से इंसुलिन से जुड़े परहेज़ के बारे में अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें.
1. ब्लड शुगर के लेवल पर नज़र रखना भूलना:
जिन लोगों को डाइबिटीज़ है, उनमें से ज़्यादातर लोग अपने दिनभर का काम करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे देखना ही भूल जाते हैं कि उनका ब्लड शुगर लेवल कम हुआ या ज़्यादा. इसलिए, वे लगातार गलत खुराक ले रहे होते हैं. ध्यान रखें कि रोज़ाना अपने ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करना ज़रूरी है.
यह याद रखने के लिए आप रिमाइंडर या फ़्रिज पर नोट लगा सकते हैं. कुल मिलाकर किसी भी हाल में अपने ब्लड शुगर की स्थिति जानना न भूलें.
2. इंसुलिन की अदला-बदली:
ऐसा हो सकता है डाइबिटीज़ से पीड़ित कुछ लोगों को बेसल (long-term or intermediate-acting) और बोलस (short-term or rapid-acting) इंसुलिन को साथ मिलाकर लेने की ज़रूरत हो. आम तौर पर बेसल इंसुलिन दिन में एक बार एक निश्चित समय पर ली जाती है. बोलस इंसुलिन खाना खाने के पहले ली जाती है. कुछ लोग दोनों को मिला देते हैं और गलत समय पर गलत इंसुलिन ले लेते हैं. यह आपके ब्लड शुगर पर बुरा असर डाल सकता है. अलग-अलग तरह के इंसुलिन के बारे में यहां जानें.
3. इंसुलिन पेन शेयर न करें:
इंसुलिन पेन आम सीरिंज के बजाय इस्तेमाल करने में बहुत आसान हैं. इसे आप खुद ले सकते हैं. हालांकि, एक से ज़्यादा लोगों को एक पेन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आपके ब्लड और त्वचा के सेल पेन पर चिपक सकते हैं, जिससे इंफ़ेक्शन भी हो सकता है. ध्यान रखें ऐसा सुई बदलने के बाद भी हो सकता है. यह जाने-अनजाने किसी एक बीमारी के इलाज के दौरान दूसरी बीमारी मोल ले लेने जैसा है और ऐसा करना बिलकुल भी समझदारी की बात नहीं है.
4. इंसुलिन समय पर न लेना:
इंसुलिन न लेने की कई वजह हो सकती हैं जैसे काम में व्यस्तता, समय पर खाना न खाना, गड़बड़ खान-पान या बीमार रहना. ध्यान रखें कि हर समय अपना ब्लड शुगर लेवल सही बनाए रखना बहुत ज़रूरी है. इसलिए, इंसुलिन लेना कभी न भूलें. भले ही आपने खाना न खाया हो, उल्टियां हो रही हों या डायरिया हो, तब भी इंसुलिन लेना न भूलें, क्योंकि हो सकता है कि तनाव की वजह से आपका ब्लड शुगर लेवल ज़्यादा हो.
5. इंसुलिन को सही ढंग से स्टोर न करना:
अगर इंसुलिन को सही तापमान में ढंग से नहीं रखा गया हो, तो इंसुलिन की क्षमता कम हो जाती है. इसे बहुत ठंडी या गरम जगह रखने से भी इसका असर खत्म हो जाता है और यह बेकार हो जाता है.
वैसे तो, बंद इंसुलिन को फ़्रिज में 36°F और 46°F के बीच के तापमान में स्टोर करना चाहिए. एक्सपायर हो चुके इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इंसुलिन का इस्तेमाल करने से पहले ध्यान रखें कि आपका इंसुलिन सही हो यानी, बोतल के अंदर की तरफ़ कोई क्लंप, टुकड़े, डिसॉलोरेशन या फ्रॉस्टिंग न हुई हो.
6. बार-बार एक ही जगह पर इंजेक्ट करना:
आप इंसुलिन कहां इंजेक्ट करते हैं, इसके आधार पर, शरीर में इसके पहुंचने का समय भी अलग होता है. यह पेट से लिए जाने पर सबसे कम समय में और जांघ या नितंब से लिए जाने पर सबसे ज़्यादा समय में खून में मिलता है. हालांकि, यह सुझाव दिया जाता है कि आप इंजेक्शन लगाने के लिए एक जगह चुन लें, मगर सुई को एक ही जगह पर बार-बार लगाने से गांठ पड़ सकती है, जिससे आख़िरकार, इंसुलिन के शरीर में पहुंचने में और ज़्यादा समय लेने लगता है. इसकी वजह से भले ही आप अपनी नियमित खुराक को इंजेक्ट करें, शरीर में पहुंचने वाला इंसुलिन कम होकर आधा तक रह जाता है. इससे शरीर को नुकसान होता है.
7. इंसुलिन इंजेक्ट करते समय दर्द होना / चोट आना:
इससे पता चलता है कि आप सुई को सही तरीके से इंजेक्ट नहीं कर रहे हैं, या इसे बहुत हिला रहे हैं. यह भी हो सकता है कि आप सही समय तक के लिए पेन/सिरिंज को पकड़ नहीं रहे हैं. इंसुलिन की वजह से किसी भी समस्या, दर्द या चोट से बचने के लिए इसे लेने की सही तकनीक सीखें और इसके लिए अपने डॉक्टर से बात करें.
अगर आपको ऊपर बताई गई किसी भी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो अपने डॉक्टर से इसका इलाज पूछना सबसे बढ़िया उपाय है.