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कोलेस्ट्रॉल एक तरह का फ़ैट होता है, जो आपके ख़ून में (और शरीर के दूसरे हिस्सों में) घूमता रहता है. हालांकि कुछ हॉर्मोन और विटामिन के बनने के लिए यह ज़रूरी होता है, लेकिन ज़्यादा मात्रा में इसकी मौजूदगी से यह ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाओं) में जमा होने लगता है, जिससे इनमें सिकुड़न और सख्त़ी आ जाती है. नतीजन, कई गंभीर बीमारियों का ख़तरा मंडराने लगता है.

बीमारियां(1,2)

एनजाइना और दिल का दौरा

अगर दिल तक ख़ून पहुंचाने वाली धमनियां ब्लॉक हो जाएं, तो दिल की मांसपेशियों को सामान्य तरीक़े से पंप करने के लिए पर्याप्त ख़ून नहीं मिलता. इसकी वजह से कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ हो सकता है, जिसका अंजाम एनजाइना (सीने में दर्द) या मुमकिन है दिल का दौरा हो.

स्ट्रोक

मस्तिष्क में एक या इससे ज़्यादा हिस्सों में ख़ून पहुंचाने वाली धमनियों में सिकुड़न या ब्लॉक होने से ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIAs) या स्ट्रोक (पक्षाघात) हो सकता है. ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक के लक्षण छोटे स्ट्रोक की तरह होते हैं या स्ट्रोक ही होते हैं, पर यह कुछ समय के लिए ही होता है. जिसे स्ट्रोक होने की संभावना के तौर पर लेना चाहिए.

पेरिफ़ेरल आर्टरी डिज़ीज़ (परिधीय धमनी रोग)

पेरिफ़ेरल आर्टरी डिज़ीज़ होने का मतलब है दिल और मस्तिष्क के बाहरी हिस्सों के ब्लड वेसेल्स में सिकुड़न होना. इससे प्रभावित लोगों को अक्सर पैरों में दर्द की शिकायत रहती है.

हाइपरटेंशन

कई धमनियों के सिकुड़ने और सख्त़ होने से शरीर के सभी हिस्सों में ख़ून पहुंचाने के लिए दिल को ज़्यादा पंप करना पड़ता है. इससे ब्लड का प्रेशर (रक्त दबाव) बढ़ता है, नतीजन हाइपरटेंशन की परेशानी होती है.

बचाव(1,2)

लाइफ़स्टाइल में ज़रूरी बदलाव

  • धूम्रपान छोड़ दें: इससे कार्डियोवस्कुलर की बीमारियों के होने का ख़तरा होता है.
  • सेहतमंद चीज़ें खाएं और नियमित एक्सरसाइज़ करें: अच्छा खानपान, संतुलित वज़न और नियमित तौर पर एरोबिक जैसे एक्सरसाइज़ करने से कार्डियोवैस्कुलर की सेहत अच्छी रहती है.
  • तनाव से बचें: परेशानियों से पीछा छुड़ाने से बेहतर है इनका सामना करना सीख लिया जाए. इस सिलसिले में, आप योग, मेडिटेशन की मदद ले सकते हैं. ऐसा करने से आपकी सेहत के हर पहलू में सुधार होगा.

इलाज

डिसलिपिडिमिया थेरेपी में ख़ासतौर पर स्टेटिन का इस्तेमाल किया जाता है. जिन लोगों पर स्टेटिन का असर नहीं होता उनका इलाज दूसरी दवाओं से किया जाता है.

डिसलिपिडिमिया के इलाज से संबंधित दूसरे लेख पढ़ेंहाई कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी ये सभी बातें और बचाव के तरीकें आपको मालूम होने चाहिए.

ज़रूरी जांच

अगर आप डायबिटीज़ या कार्डियोवस्कुलर डिज़ीज़ के शिकार हैं या परिवार में किसी सदस्य को ये शिकायतें हैं, तो आपको हर साल कोलेस्ट्रॉल यानी लिपिड प्रोफ़ाइल की जांच करवानी चाहिए.(2)

सही ढंग से जांच करने के लिए 10-12 घंटे भूखे रहना होता है. लेकिन मौजूदा गाइडलाइन के मुताबिक़ बिना भूखे रहे भी सही रिपोर्ट आती है, भूखे रहने से बहुत ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता. इसलिए, बिना बहाना बनाए, लिपिड प्रोफ़ाइल की जांच करवाएं. इसके अलावा, लिपिड के साथ ही आप ग्लूकोज़ की भी जांच करवाएं.(2)

 

संदर्भ:

  1.     Lawes CM, Vander Hoorn ST, Law MR, Rodgers A. High cholesterol. Comparative Quantification of Health Risks, Global and Regional Burden of Disease Attributable to Selected Major Risk Factors. Geneva: the World Health Organization. 2004:391-496.
  2.     Anderson TJ, Gregoire J, Pearson GJ, Barry AR, Couture P, Dawes M, et al. 2016 Canadian Cardiovascular Society guidelines for the management of dyslipidemia for the prevention of cardiovascular disease in the adult. Canadian Journal of Cardiology. 2016 Nov 1;32(11):1263-82.

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