हाई ब्लड प्रेशर (या हाइपरटेंशन) के साथ सबसे बड़ी परेशानी है कि आम तौर पर इसके कोई लक्षण या संकेत दिखाई नहीं देते. इसी वजह से इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है. हालांकि, हाई ब्लड प्रेशर का इलाज न करने पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों को काफ़ी नुक़सान पहुंचता है. गंभीर हालात में तो इससे जान जाने का भी जोखिम होता है.
यहां कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं, जिनसे हाइपरटेंशन आपके शरीर को नुक़सान पहुंचाता है:
ह्रदय: दिल शरीर का एक ऐसा अंग है जो पूरे शरीर में ख़ून को प्रवाहित करता है. हाई ब्लड प्रेशर के कारण ख़ून को सही तरह से प्रवाहित करने के लिए दिल को ज़्यादा मेहनत करना पड़ता है. नतीजतन, दिल के कुछ हिस्से, खास तौर से बाएं वेंट्रिकल पर काम करने का ज़्यादा भार पड़ता है और मोटा भी हो जाता है (इसे बाएं वेंट्रिकुलर हाइपरट्राफी के रूप में जाना जाता है).(1)
ब्लड वेसेल्स: हाई ब्लड प्रेश से ब्लड वेसेल्स, ख़ासकर धमनियों (आर्टरीज़) की अंदरूनी परतें प्रभावित होती हैं. समय के साथ, प्रभावित धमनी कमज़ोर, संकरी और सख्त़ हो जाती है और शरीर के उस संबंधित अंग में ख़ून का बहाव कम हो जाता है.
अगर दिल में ख़ून पहुंचाने वाली धमनी (कोरोनरी धमनी) बहुत पतली या पूरी तरह से बंद हो जाती है, तो इससे एनजाइना या दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा होता है.(2) अगर आपके हाथ और पैर के हिस्सों को ख़ून की आपूर्ति करने वाली धमनी संकीर्ण/बंद हो जाती है, तो आपको बार-बार ऐंठन, दर्द और कमज़ोरी महसूस हो सकती है (जिसे परिधीय धमनी रोग के रूप में जाना जाता है). कभी-कभी कमज़ोर पड़ चुकी धमनियां हाई ब्लड प्रेशर के चलते बंद हो जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है, जिससे एनेरिस्म नाम का एक बड़ा उभार बन जाता है, जिसके फूटने का ख़तरा बना रहता है.
मस्तिष्क: मस्तिष्क के किसी ख़ास हिस्से तक ख़ून का बहाव बहुत कम होने पर ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) या स्ट्रोक का ख़तरा हो सकता है. हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में भी बार-बार ख़ून के थक्के बनने की संभावना होती है. इन थक्कों की वजह से आगे TIA और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है. मस्तिष्क में ख़ून के प्रवाह में कमी से माइल्ड कॉग्नीटिव इम्पेयर्मेंट (या इसका सबसे ज़्यादा गंभीर रूप डेम्नेशिया) की तकलीफ़ हो सकती है.(2)
किडनी: किडनी के काम न करने और ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस की सबसे आम वजहों में से एक है हाई ब्लड प्रेशर. ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस किडनी के किसी हिस्से में जख्म होने से संबंधित है. इन तकलीफ़ों की वजह से ख़ून को फ़िल्टर करने वाले गुर्दे की क्षमता पर असर पड़ता है और इससे शरीर के अंदर द्रव्य (फ्लुइड्स) का इकट्ठा हो सकता है.(3)
आंखें और देखने की क्षमता: लंबे अरसे तक हाइपरटेंशन की समस्या से आपकी आंखों के ब्लड वेसेल्स और तंत्रिकाओं (नर्वस) को भी नुक़सान पहुंचता है, जिससे रेटिनोपैथी, कोरॉइडोपैथी और ऑप्टिक न्यूरोपैथी नाम की तकलीफ़ें पैदा होती है. इन हालातों में आंखों से ख़ून निकलने के साथ दिखाई न देने या पूरी तरह से अंधे हो जाने का ख़तरा होता है. रेटिना की मुख्य धमनी या शिरा बंद हो सकती है, जिससे देखने की क्षमता प्रभावित होती है.(4)
सेक्शुअल डिसफंक्शन (यौन रोग): यौन संबंधी मामलों में परेशानियों का होना काफ़ी आम है लेकिन आमतौर पर इस पर चर्चा नहीं की जाती और यही समस्या हाइपरटेंशन के साथ है. पुरुषों में क्रोनिक हाइपरटेंशन की समस्या होने पर उनके गुप्तांग तक ख़ून का प्रवाह सही तरह से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से इरेक्शन में परेशानी हो सकती है. क्रोनिक समस्या के चलते महिलाओं की योनि में ख़ून का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे उत्तेजना कम हो सकती है या योनि में सूखेपन की समस्या हो सकती है. असल में, हाइपरटेंशन से संबंधित यौन रोग पुरुषों की तुलना में महलाओं में ज़्यादा होता है.
इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाएं, ख़ासकर तब, जब आपके परिवार में किसी व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रही हो.
ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखकर इन समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है. याद रखें कि अपने ब्लड प्रेशर को 10 mmHg तक कम करने से भी इन बीमारियों के होने का ख़तरा 20% तक कम हो जाता है.(2)
हाइपरटेंशन को रोकने या नियंत्रित करने से संबंधित ज़्यादा जानकारी पाने के लिए हमारे लेख देखें.
संदर्भ:
- Brandt MC, Mahfoud F, Reda S, Schirmer SH, Erdmann E, Böhm M, et al. Renal sympathetic denervation reduces left ventricular hypertrophy and improves cardiac function in patients with resistant hypertension. Journal of the American College of Cardiology. 2012;59(10):901-9.
- Ettehad D, Emdin CA, Kiran A, Anderson SG, Callender T, Emberson J, et al. Blood pressure lowering for the prevention of cardiovascular disease and death: a systematic review and meta-analysis. The Lancet. 2016;387(10022):957-67.
- Udani S, Lazich I, Bakris GL. Epidemiology of hypertensive kidney disease. Nature Reviews Nephrology. 2011;7(1):11.
- Fraser‐Bell S, Symes R, Vaze A. Hypertensive eye disease: a review. Clinical & experimental ophthalmology. 2017;45(1):45-53.