आप चाहे उन्हें पकाएं, मैश, ग्रिल या डीप फ़्राई करें, आलू किसी भी रूप और आकार में लज़ीज़ होते हैं. खाने का महत्त्वपूर्ण हिस्सा और दुनियाभर में मशहूर होने के अलावा आलू भारत में भी साल भर मिलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आलू में स्टार्च ज़्यादा होता है? साल भर उपजनेवाला आलू कंद होता है, जिसका वैज्ञानिक नाम सोलेनम ट्यूबरोसम है? चावल, गेहूं की तरह इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं.
डायबिटीज़ से कार्बोहाइड्रेट (कार्ब्स) का रिश्ता आमतौर पर ग्लाइसेमिक इन्डेक्स वैल्यू के आधार पर तय किया जाता है. आलू अपने ग्लाइसेमिक इन्डेक्स (जीआई स्कोर) के चलते “ख़राब” कार्बोहाइड्रेट माना जाता है. किसी भी खाद्य पदार्थ में ग्लाइसेमिक इन्डेक्स का 70 से ज़्यादा होना ख़तरनाक है. क्योंकि ये ख़ून में शुगर का स्तर तेज़ी से बढ़ाता है. आलू का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 58 से 111 के बीच होता है. उबले हुए आलू में औसतन 78, जबकि इन्स्टैन्ट कुक्ड आलू का औसत ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 87 होता है.
दूसरी ओर आलू दुनियाभर में लोकप्रिय है और जब तक डीप फ़्राई न किये जाएं, सेहत के लिहाज़ से ख़राब नहीं माने जाते. सवाल है कि क्या डायबिटीज़ से प्रभावित लोग आलू खा सकते है? आईये जानते हैं.
सबसे पहले ग्लाइसेमिक इन्डेक्स और डायबिटीज़ के रिश्ते को समझें
एटमंथन वेलनेस सेन्टर के निदेशक डॉ. मनोज कुट्टेरी के मुताबिक, “हमारा शरीर उस वक़्त सबसे ज़्यादा काम करता है, जब ख़ून में शुगर का स्तर सामान्य हो और उसमें ज़्यादा बदलाव न हो. जब ख़ून में शुगर काफ़ी कम हो जाए तो शरीर सुस्त होता है और भूख ज़्यादा लगती है. जब शुगर का स्तर ज़्यादा हो जाए, तो दिमाग़ पैन्क्रियाज़ को ज़्यादा इन्सुलिन रिलीज़ करने का संकेत देता है.
इन्सुलिन ख़ून में ज़रूरत से ज़्यादा शुगर को फ़ैट में बदलकर शुगर का स्तर सामान्य करने में मदद करता है. ख़ून में शुगर का स्तर जितना ज़्यादा होगा, उतना ही ज़्यादा इन्सुलिन रिलीज होगा. जिससे शुगर का स्तर काफ़ी कम हो जाता है. लिहाजा ज़्यादा ग्लाइसेमिक इन्डेक्स वाला खाना खाने पर शुगर का स्तर बढ़ता है और कम समय के लिए ऊर्जा महसूस होती है. पर इसके बाद सुस्ती बढ़ती है ,फ़ैट का जमावड़ा बढ़ जाता है और भूख भी ज़्यादा लगती है.”
डॉ. कुट्टेरी बताते हैं, “हालांकि फ़ैट का ज़्यादा जमा होना कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन डायबिटिक लोगों में इसका ख़तरा बढ़ जाता है. चर्बीदार टिशू या बेली फ़ैट की मात्रा बढ़ जाने से शरीर में इन्सुलिन प्रोसेस करने की क्षमता कम हो जाती है. इसे इन्सुलिन के प्रति प्रतिरोध कहते हैं, जिससे कई तरह के रोग पैदा होते हैं. ग्लाइसेमिक इन्डेक्स का अर्थ [1] इन्सुलिन से जुड़ी परेशानियों को कम करना है. यानी वैसे खाने से परहेज़ किया जाता है, जिससे ख़ून में शुगर की मात्रा बढ़ती हो.”
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आलू में पोषक पदार्थ भरे हुए हैं
हालांकि, आलू का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स ज़्यादा होता है, लेकिन इसमें कई अच्छाईयां भी हैं. पोषण के लिहाज़ से इसकी अहमियत कभी कम नहीं होती.
आलू विटामिन बी6, पोटैशियम, कॉपर, विटामिन सी, मैंगनीज़, फ़ॉस्फ़ोरस, नियासिन, रेशेदार खाना और पैंटोथेनिक एसिड का अहम स्रोत है. उसमें कई प्रकार के फ़ाइटोन्यूट्रियेंट्स भी पाए जाते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं.
दरअसल सामान्य आलू की तुलना में मीठे आलू में अधिक पोषक पदार्थ होते हैं. लिहाज़ा वो ज़्यादा सेहतमंद होते हैं, जिसके कारण उन्हें ‘सुपरफ़ूड’ कहा जाता है. विटामिन ए, सी और बी 6 से भरपूर मीठे आलू में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. उनमें रेशा, पोटैशियम और आयरन भी भरपूर होता है. कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड लाइफ़ साइंसेस [2] में हाल में हुए एक रिसर्च के मुताबिक़ ये तय है कि मीठे आलू का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स कम होता है. डायबिटीज़ से ग्रसित लोगों के लिए ये एक अच्छी ख़बर है.
डॉ. कुट्टेरी द्वारा डायबिटिक लोगों के लिए आलू को सेहतमंद बनाने के उपाय:
- उबले हुए, भुने, ग्रिल्ड और हलके तले आलू खाएं. मैश पटेटो और डीप फ्राई आलू बिलकुल न खाएं.
- आलू खाने का सेहतमंद उपाय उन्हें प्राकृतिक मसालों और हर्ब्स के साथ मिलाकर खाना है. आलू में मिलाने के लिए जीरा, धनिया, अजवाइन, लाल मिर्च, तेजपत्ता, अवाइन का फूल, मेंहदी, तुलसी, नमक जैसे मसाले बेहतर विकल्प हैं.
- रेशेदार सब्ज़ियों के साथ मिलाकर भी आलू खाया जा सकता है. इससे खाना धीरे-धीरे पचता है और ख़ून में शुगर का स्तर नहीं बढ़ता.
- हमेशा छिलका सहित आलू खाएं. छिलके में रोगों से लड़ने का गुण होता है. आलू के छिलके में विटामिन बी, सी, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और कई दूसरे पोषक पदार्थ पाए जाते हैं. आलू के छिलके में प्रति आउंस करीब 2 ग्राम रेशा होता है. अगर आप मंझले आकार का एक आलू छिलका समेत खाते हैं, तो आपके शरीर को करीब 4 ग्राम फ़ाइबर, 2 मिलीग्राम आयरन और 926 ग्राम पोटैशियम मिलता है.
- डायबिटिक लोगों के लिए छोटा लाल आलू सबसे बेहतर है. छोटे आलू के छिलके में ज़्यादा रेशा होता है, जिसके कारण खाना धीरे-धीरे पचता है. खाने में संतुलन के लिए छोटे और पूरे आलू सबसे मुफीद होते हैं.
- मीठा आलू ज़्यादा से ज़्यादा खाना चाहिए. क्योंकि उनमें सामान्य आलू की तुलना में ज़्यादा रेशा होता है.
पोर्शन साइज़ कितना होना चाहिए?
स्टार्च से भरे आलू और मीठे आलू डायबिटिक लोगों के लिए सेहतमंद खाने का हिस्सा तभी हो सकते हैं, जब उनके पोर्शन साइज़ का ख़याल रखा जाए. यानी उनकी मात्रा. आपके प्लेट में एक चौथाई से ज़्यादा स्टार्च से भरा खाना न हो. क्योंकि ज़्यादा स्टार्च से भरा खाना होने पर ख़ून में शुगर का स्तर बढ़ सकता है.
जानिए, डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए आपको अपनी खाने की प्लेट पर नज़र रखने की ज़रूरत क्यों है?
कुल मिलाकर यही जा कहा सकता है कि आलू खाना पूरी तरह बंद मत कीजिये. सही तरीक़े से पकाया हुआ आलू और उसका सही प्रकार आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है.
संदर्भ:
- Willett W1, Manson J, Liu S. Glycemic index, glycemic load, and risk of type 2 diabetes. PMID: 12081851 [Indexed for MEDLINE] https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/12081851
- Dr. Jon Allen, Dr. Van Den Truong, Dr. Masood Butt. Glycemic Index of Sweet Potato as Affected by Cooking Methods. The Open Nutrition Journal, 2012, 6, 1-11. https://pdfs.semanticscholar.org/54fe/4208102d194dc71cb15d8639e25d008d5709.pdf