ग्लूटेन एक प्रोटीन है, जो गेहूं, राई और जौ में पाया जाता है. लेकिन सवाल ये है की ग्लूटेन करता क्या है? एक पैकेट गेहूं के आटे में आप जब भी पानी मिलाते हैं, तो ये लिसलिसा हो कर एक डो जैसा बन जाता है. ऐसा ग्लूटेन की वजह से होता है. ग्लूटेन की वजह से ही हम रोटी और पुरी को आसानी से बेल पाते हैं. ग्लूटेन में दो प्रोटीन मौजूद होते हैं: ग्लूटेनिन और ग्लियाडिन. ग्लियाडिन सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है.
ज़्यादातर लोगों को ग्लूटेन पूरी तरह से पच जाता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी बॉडी ग्लियाडिन को सहन नहीं कर पाती. इसकी वजह ऑटो–इम्यून कंडिशन है, जिसे सैलिएक डिज़ीज़ या ग्लूटेन सेंसिटिव एंट्रोपैथी कहते है.
सीलिएक डिज़ीज़
इसमें, ग्लूटेन की वजह से एंटीबॉडीज़ बनती है, जो आंतों की बाहरी भाग को नुकसान पहुंचा सकती है. इससे हमारा शरीर दूसरे न्यूट्रीएंट्स को अब्सॉर्ब नहीं कर पाता और पाचन से जुडी बड़ी समस्याएं हो सकती हैं. सीलिएक डिज़ीज़ के सबसे सामान्य लक्षणों में खाना न पचना , गैस (पेट फूलना ), दस्त, कब्ज, स्किन रैशेज़, एनीमिया, वजन घटना और मल से काफी बदबू आना शामिल हैं.
इसकी दूसरी कंडीशन जैसे की ‘इरिटेबल बाउल सिंड्रोम’ (मल करने में दिक्कत ), नॉन–सैलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी, इन्फ्लेमेटरी बाउल डिसीज़ (क्रोहन्स डिसीज़ अल्सरेटिव कॉलिटिस) भी ग्लूटेन सेंसिटिविटी के लिए बहुत सवेंदनशील है. ऐसे कंडीशन में ग्लूटेन से बचना चाहिए और बाद में शरीर के बर्दाश्त करने की क्षमता के हिसाब से वापस थोड़ा–थोड़ा करके शुरू करना चाहिए.
भले ही ये सुनने में आसान लग रहा हो, लेकिन ग्लूटेन को छोड़ना काफी मुश्किल है क्यूंकि ग्लूटेन हर उस चीज़ में मौजूद होता है जो रेडीमेड मिलता है जैसे ब्रेड और बिस्कुट. ये सूप और टली हुई चीज़ों में भी मिलती है. ऐसी हालत में आपके लिए यही अच्छा होगा कि आप कोई भी चीज़ खाने से पहले उसके इंग्रीडिएंट्स के बारे में ज़रूर जानें.
ग्लूटेन से बचने के लिए आप ऐमारैंथ (राजगीरा) गेहूं को आटे की जगह चुन सकते हैं. इसके अलावा आप चेस्ट नट फ्लोर (सिंगाड़ा अटा), ग्वार गम, टैपिओका फ्लोर (अरारोट आटा ), केले का आटा, नारियल का आटा, चना आटा (बेसन), सोया आटा का भी इस्तेमाल सकते हैं. आप सेहदमंद खाने जैसे फल, नट्स और सब्ज़ियों का इस्तेमाल करके ग्लूटेन से होने वाली मुश्किलों से बच सकते हैं.
किसी प्रोडक्ट में ग्लूटेन है या नहीं, ये जानने का सबसे अच्छा तरीका है पैकेट पे लिखे इंग्रीडिएंट को पढ़ना . इसलिए अगली बार आप जब भी बाहर से ब्रेड खरीदें, तो उसपर लिखे लेबल और ग्लूटेन इंग्रीडिएंट पर ज़रूर ध्यान दें!