डायबिटीज़ से जूझ रहे लोगों के लिए शुरुआत के तौर पर सही आसन, मुद्रा में बैठना और ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (साँस लेने से जुड़े व्यायाम) को सबसे अच्छा योग कहा जा सकता है. योग से जुड़े आसन खासतौर पर पैनक्रियाज़ (अग्न्याशय) के लिए फ़ायदेमंद है. इससे पैनक्रियाज़ में रक्त के प्रवाह और उसके संचार में सुधार होता है और शरीर की कोशिकाओं के लिए इंसुलिन का निर्माण करने की क्षमता बेहतर होती है.
योग डायबिटीज़ से ग्रसित लोगों को कैसे फ़ायदा पहुंचा सकता है?
नियमित तौर पर योग का अभ्यास मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है. विभिन्न योगासनों के अभ्यास से आपके शरीर की अंतःस्त्रावी प्रणाली ( Endocrine System) और प्रत्येक अंग के सेलुलर लेवल को भी फ़ायदा पहुँचता है. साथ ही विभिन्न आसनों से शरीर को आराम मिलने के चलते पैनक्रियाज़ (अग्न्याशय) को फैलने में मदद मिलती है. इससे इंसुलिन बनाने वाली बीटा सेल्स उत्तेजित होती हैं और साथ ही वज़न को संतुलित करने में आसानी होती है.
डायबिटीज़ को नियंत्रित करने वाले योगासन
निश्रिन पारिख जीएनसी एक्पर्ट हैं और ‘योगा स्ट्रेंग्थ’ की संस्थापक, वो एशियन बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में भाग लेने वाली सबसे पुरानी महिला हैं. निश्रिन डायबिटीज़ (मधुमेह) को नियंत्रित करने में सहायक 4 योगासनों के बारे में हमें बता रहीं हैं.
पहला आसन #1 भुजंगासन
भुजंगासन को अंग्रेज़ी में कोबरा पोज़ कहते हैं, ये मधुमेह को कंट्रोल करने वाले आसनों में से एक है और ख़ासकर डायबिटीज़ से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद है.
भुजंगासन के फ़ायदे:
- शरीर का लचीलापन बढ़ाता है.
- श्वसन और पाचन प्रक्रियाओं में सुधार करता है.
- पीठ की मांसपेशियां मज़बूत होती है.
- ये ऑफिस या घर में घंटों तक चलने वाले काम के बाद उपजे तनाव और दर्द को कम करता है.
भुजंगासन करने का तरीक़ा :
- पेट के बल लेट जाएँ और अपने माथे को फर्श पर सीधा रखें.
- अब अपने पैरों और एड़ियों को साथ जोड़कर रखें, जिससे कि आपके पंजे ज़मीन को छू सके.
- हाथों को सिर के पास लाकर अपनी कोहनियों को शरीर के करीब ले जाएँ.
- अपने सिर को ऊपर उठाते हुए हाथों पर वज़न डालकर छाती को धीरे से उठाना शुरू करें, कंधे की मांसपेशियों को मोड़ें और जितना हो सके एक दूसरे के करीब आने दें। यह आसन का अंतिम चरण है.
- इस मुद्रा के आख़िरी चरण को अपनी क्षमता के मुताबिक़ 3-5 साँसों को खींचने के दौरान बनाए रखें .
- सांस छोड़ते समय, अपने शरीर को वापस जमीन पर ले आएं.
- पेट के ऊपरी भाग, पसलियों, छाती, कंधे और पीठ की मांसपेशियों को आराम देते हुए आसन से बाहर आएं.
भुजंगासन को कितनी बार दोहराएं:
एक बार में इस आसन को आप 3 से 5 बार दोहरा सकते हैं.
भुजंगासन को करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां :
- इस आसन को करते समय कई लोग अपने हाथों का सहारा लेते हैं और अपनी सांस रोकने की कोशिश करते हैं. दोनों ही करने से बचना चाहिए.
- अपने शरीर की पिछली मांसपेशियों, गर्दन और कंधों का सहारा लेते हुए इस आसन को करें और सामान्य रूप से सांस लेना जारी रखें.
- तेजी से या ज़बरदस्ती शरीर को ऊपर उठाने से बचें, संयम से काम लें.
- आसन के दौरान अपनी आँखों पर ज़ोर न डालें. आँख की पुतली या भौहों को उठाने से रोकने का प्रयास करें, क्योंकि ऐसा करने से आपकी आंखों में तनाव पैदा हो सकता है.
भुजंगासन किन्हें नहीं करना चाहिए :
गर्भवती महिलाओं को इसे नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस आसन को करने के दौरान पेट पर बल पड़ता है.
दूसरा आसन#2: पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन ख़ासतौर से पैनक्रियाज़ (अग्न्याशय), यकृत, तिल्ली, पेट और पेट की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए लाभदायक है.
पवनमुक्तासन के फ़ायदे:
- ये आसन समय के साथ आपको पेट की गैस से मुक्ति दिलाता है.
- पाचन तंत्र को मज़बूत बनाता है.
- ये आसन लीवर के लिए लाभदायक है और लीवर का बढ़ना रोकता है.
- ये पेट में फ़ैटी टिशु को भी बढ़ने से रोकता है.
पवनमुक्तासन करने का तरीक़ा
- सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएँ. अपनी टांगों को जोड़ें और हाथों को शरीर के साथ सटाकर रखें.
- पेट की मांसपेशियों को सिकुड़ाएं, साथ ही पैरों को लगभग 20 से 30 सेमी ऊपर उठाएं.
- अपने पैरों को मोडें, साथ ही घुटनों को छाती की ओर ले जाएं. अब दोनों बाहों को परस्पर घेरते हुए पकड़ लें.
- अब, अपना सिर उठाएं और उसे घुटनों को छूने दें.
- आसन से बाहर आना शुरू करें.
- सबसे पहले अपने सर को ज़मीन पर टिका दें. अपने हाथों से शुरू करते हुए पैरों के बाद पूरे शरीर को थोड़ा आराम करने दें.
पवनमुक्तासन को कितनी बार दोहराएं:
शुरुआत में इस आसन को 3 से 5 बार दोहराएं, अंतिम मुद्रा को 3 से 10 बार साँस को छोड़ने तक बनाए रखें.
पवनमुक्तासन को करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां :
- सर को उठाते समय मुड़े हुए घुटनों से छाती पर अत्यधिक अतिरिक्त दबाव डालने से बचें.
- सुनिश्चित करें कि आपकी श्वास नॉर्मल रहे. साथ ही पैरों के मुड़े होने के दौरान अपनी सांस को रोककर न रखें।
पवनमुक्तासन किन्हें नहीं करना चाहिए
गर्भवती महिलाओं को इसे नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस आसन को करने के दौरान पेट पर बल पड़ता है.
तीसरा आसन#3: वज्रासन
वज़्रासन पाचन क्रिया में सहायता करने और पेट से संबंधित सभी समस्याओं से राहत पाने का सबसे उत्तम तरीक़ा है। अगर आप कमर के आसपास के अतिरिक्त फ़ैट को कम करना चाहते हैं, तो ये उसमें भी काफ़ी मदद करता है.
वज्रासन के फ़ायदे:
- पेट के निचले हिस्से में रक्त संचार को बेहतर करता है.
- ज्वाइंट और मसल (rheumatic diseases) से जुड़े रोग होने से बचाता है.
- रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियों को कम करने में मदद करता है.
- रक्त संचार को बेहतर बनाने के दौरान ये टखनों और नी ज्वाइंट से जुड़ी गतिविधि को सहज बनाता है.
वज्रासन करने का तरीक़ा ?
- वज्रासन को सही ढंग से करने के लिए, फ़र्श पर घुटनों को मोड़ कर पंजों के बल सीधा बैठें और हाथों को जाघों पर रखें.
- अब कंधों को आराम महसूस करने दें और अपने शरीर को बैलेंस करने की कोशिश करें. घुटनों को मोड़े रखें और अपने नितंबों पर इस तरह बैठें कि तलवे नितंबो के बाहरी हिस्से को छू रहे हों.
- इस मुद्रा को बनाए रखें ताकि आपकी रीढ़ और गर्दन पूरी तरह से सीधी रहे.
- गहरी सांसें लेने के दौरान, रीढ़ की हड्डी को ज़्यादा पीछे की ओर ना मोड़ें.आँखें बंद करें और अपनी साँसों पर ध्यान लगाएं रखें.
- साँसें खींचने और छोड़ने के दौरान अपने शरीर और मन को आराम महसूस करने दें.
वज्रासन को कितनी बार दोहराएं:
आप इस मुद्रा में कम से कम 2 मिनट तक बैठ सकते हैं. लेकिन एक बार इस मुद्रा में बैठने की आदत हो जाने पर आप इसे 10 मिनट तक बढ़ा सकते हैं.
वज्रासन को करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां :
- वज्रासन के आख़िरी चरण में बैठने के दौरान अगर आप किसी तरह की परेशानी का अनुभव करें तो आप अपने एंकल ज्वाइंट (टखने) के नीचे एक मुड़ा हुआ तौलिया रख सकते हैं.
- शरीर के धड़ (टॉर्सो) में किसी तरह के झुकाव से बचने के लिए आप अपनी मुद्रा को इस तरह बनाने की कोशिश करें, जिससे शरीर का भार रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉलम) से गुज़रता हुआ नितंबों पर पड़े.
वज्रासन किन्हें नहीं करना चाहिए:
घुटने की गंभीर चोट के शिकार या घुटने की सर्जरी करा चुके लोग इस आसन को करने से बचें.
चौथा आसन#4: ताड़ासन
ताड़ासन योग का बहुत ही बुनियादी आसन है, और शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है.ताड़ासन के फ़ायदे:
- गैस, अपच, एसिडिटी और पेट के फूलने से राहत दिलाता है.
- रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देने में मदद करता है.
- पीठ दर्द से राहत दिलाता है.
- मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान होने वाली परेशानी को कम करता है.
ताड़ासन करने का तरीक़ा:
- अपने पैरों को थोड़ा सा फैलाकर सीधे खड़े रहें.
- सांस अन्दर खींचते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएं.
- अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और हाथ की उंगलियों को एक दूसरे में मिलाकर उन्हें कस लें, अब अपनी एड़ी को उठाएं और अपने पैर की उंगलियों पर खुद को संतुलित करने की कोशिश करें.
- अपने पैर की उंगलियों से लेकर हाथ की उंगलियों तक खिंचाव को महसूस करें.
- हल्की गहरी साँसें खींचते हुए इस मुद्रा को तब तक बनाएं रखें, जब तक आप इसमें सहज महसूस करें.
लम्बी सांस खींचने के बाद आप अपनी पहली अवस्था में वापस आ सकते हैं.इसे भी पढ़ें: डायबिटीज़ में वॉक पर जाने से पहले क्या आप इन 6 बातों का ख़याल रखते हैं?
ताड़ासन को कितनी बार दोहराएं:
आप इसे 5-10 सेकेण्ड में दोहरा सकते हैं. इसे दोहरया जाना आपके शरीर की सुविधा पर निर्भर करता है, जब तक आप इसमें कम्फर्टेबल हैं.
ताड़ासन किन्हें नहीं करना चाहिए:
- यदि आप दिल से जुड़ी किसी समस्या जैसे, दिल के दर्द से पीड़ित हैं या फिर दस्त या पेचिश है, तो ये अभ्यास न करें.
- पीरियड्स के दौरान भारी रक्तस्राव (menorrhagia) या नियमित रक्तस्राव (metrorrhagia) का सामना कर रही महिलाओं को ये आसन नहीं करना चाहिए.
तस्वीर: Shutterstock
संदर्भ:
Chimkode, S. M., Kumaran, S. D., Kanhere, V. V., & Shivanna, R. (2015). Effect of Yoga on Blood Glucose Levels in Patients with Type 2 Diabetes Mellitus. Journal of Clinical and Diagnostic Research: JCDR, 9(4), CC01–CC03. http://doi.org/10.7860/JCDR/2015/12666.5744 https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4437062/